रिश्ते

जो कह दिया वह शब्द थे, 
  जो नहीं कह सके वह अनुभूति थी
और
  जो कहना है, फिर भी नहीं कह सकते वह मर्यादा है।।


जिन्दगी का क्या है? 
  आकर नहाया
    और 
      नहाकर चल दिया।।
    
           गौर करें 


पत्तों सी होती है कई  रिश्तोंं की उम्र!
  आज हरे....
    कल सूखे....।।
क्यों न हम
   जड़ों से रिश्ते
      निभाना सीखें।।


  रिश्तों को बनाये रखने के लिये, 
  कभी अन्धा,
    कभी गूँगा 
       और  कभी बहरा
           होना ही पड़ता है।।


बरसात गिरी
     और कानों में
        इतना कह गई कि
           गर्मी किसी की भी
               हमेशा नहीं रहती।।


नसीहत
  नर्म लहजे में ही
     अच्छी लगती है क्योंकि, 
   दस्तक का मकसद
      दरवाजा खुलवाना
          होता है,
             तोड़ना नहीं।। 


घमण्ड
  किसी का नहीं रहा,
   टूटने से पहले तक
     गुल्ल्क को भी लगता है,
       सारे पैसे उसी के हैं।।


जिस बात पर
     कोई मुस्करा दे,
         बात बस वही
             खूबसूरत है।।


थमती नहीं
      _जिन्दगी कभी_
        _किसी के बिना,_
परन्तु 
  _ये गुजरती भी नहीं है_
    _अपनों के बिना ।।_